Thursday, September 30, 2010

ताकत वतन की हमसे है

संतों और पीरों की शेखावाटी धरा सदा से हिन्दू मुस्लिम एकता व सौहार्द्र की प्रतीक रही है | बात चाहे त्यौहारों की करें या फिर आस्था केन्द्रों की, गंगा - जमुनी संस्कृति यहाँ कायम रही है | ईद व दीवाली में एक दुसरे को बढ़ाई देने की होड़ लगी रहती है तो आस्था केन्द्रों में भी सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल है | यहाँ के चप्पे चप्पे पर अपनायत की इबादत लिखी है | मानवता यहाँ का सबसे बड़ा धर्म और सेवा सबसे बड़ी बंदगी है | हर धर्म के अनुयायी यहाँ पानी में घुले रंगों की मानिंद एक दुसरे से मिले हैं | इसका धरती का जर्रा जर्रा अपने आप में बेमिसाल है |  झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे में स्थित नरहड़ दरगाह में प्रति वर्ष जन्माष्टमी पर लगने वाले उर्स के मेले में हिन्दुओं की संख्या मुसलामानों से अधिक रहती है | अस्थामय सालासर धाम का निर्माण भी मुस्लिम कारीगरों के हाथों से हुआ है | सौहार्द्र और विश्वास  की यह अनूठी डोर राव शेखाजी के समय से ही चली आ रही है जिसका निर्वहन अभी भी बदस्तूर हो रहा है | ऐसे ही कुछ तथ्य पाठकों के अवलोकनार्थ प्रस्तुत है -
  • विश्व प्रशिद्ध खाटू  श्याम मंदिर के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं क़ि मंदिर से मात्र 75 मीटर की दूरी पर शाह आलमगीर मस्जिद और शिव मंदिर एक ही दीवार से सटे हैं | दोनों स्थलों पर धर्मावलम्बी   सद्भाव के साथ अराधना और इबादत करते हैं | चाहे ईद का मौक़ा हो या महाशिवरात्रि जैसा पर्व, सभी आयोजनों में हिन्दू और मुस्लिम एक साथ कंधे से कंधा मिला कर शरीक होते हैं |
  • सीकर के दूजोद गेट के पास स्थित श्याम मंदिर में असगर चौहान पिछले 11 सालों से भक्तों की सेवा कर रहे हैं | खाटू  पदयात्रा में जाने वाले यात्रियों में शायद ही कोई ऐसा होगा जो उन्हें शक्ल से ना जानता हो   |
  • झुंझुनू के काना पहाड़ की तलहटी में स्थित हजरत कमरुद्दीन शाह की दरगाह मजहबी भाई चारे की अनूठी मिसाल है | यहाँ फरवरी में लगने वाले उर्स में सभी धर्मों के लोग शिरकत करते हैं |
  • चूरू के साहवा के गुरुद्वारे में सभी धर्मों के लोग भेद भाव भुलाकर लाखों की तादाद में एकत्रित होकर  मत्था टेकते हैं |
  • सीकर में नजीर खान चौहान ऩे 40 सालों तक  सीकर सांस्कृतिक मंडल के कार्यकर्ता के रूप में  रामलीला के मंचन सहित अन्य हिन्दू पर्वों पर होने वाले आयोजनों की कमान संभाली और उन्हें बखूबी सफल बनाया है  |
  • नवलगढ़ के रामदेव जी के मंदिर में हिन्दू रामसा कहकर पूजा करते  हैं तो मुस्लिम पीर के नाम से मनौतियाँ मांगते हैं | यहाँ हर साल करीब पाँच लाख श्रुद्धालु शीश झुकाते हैं |
  • चिडावा के पास नरहड़ की दरगाह में जन्माष्टमी पर लगने वाला मेला हिन्दू मुस्लिम एकता का जीवंत प्रमाण है |
  • खाटू में बाबा श्याम का रथ पिछले चालीस सालों से खुदाबक्स खां तेली सजा रहे हैं | 82 वर्षीय खुदाबक्स रथयात्रा के लिए ख़ास अलीगढ़ से मुस्लिम कारीगर बुलाकर अपनी देख रेख में रथ तैयार कराते हैं |  

Wednesday, September 29, 2010

उर्स में भजन - हस्ती मिटती नहीं हमारी


हजरत ख्वाजा हाजी मोहम्मद नजमुद्दीन की ऐतिहासिक दरगाह के सालाना उर्स में मंगलवार को चादर का जुलूस निकाला गया।  जौहर की नमाज के बाद चेजारों के मोहल्ले से जुलूस निकाला गया। ऊंट, घोड़ा व बैंडबाजे के साथ शाही लवाजमे के साथ निकाले गए जुलूस में मुख्य चादर सहित आधा दर्जन अन्य चादर भी शमिल थी। जुलूस में  ख्वाजा की खिदमत में कव्वालियां पेश की गई तथा कलाकारों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए जिससे जायरीन दाद देने पर मजबूर हो गए। कस्बे के प्रमुख मार्गों से होता हुआ जुलूस दरगाह पहुंचा, जहां सज्जादानशीन एवं मुतव्वली पीर गुलाम नसीर ने बुलंद दरवाजे पर चादर ग्रहण की और बड़े अदब के साथ दरगाह पर चढ़ाई। हालांकि जुलूस में भारी मात्रा में पुलिस लवाजमा मौजूद था , लेकिन लोगों को यही कहते सुना गया क़ि इस सौहार्द्रपूर्ण माहौल में इतना भारी जाब्ता जरूर तनाव दिखाता है  | व्यापारियों व हिन्दू धर्मावलम्बियों ऩे भी जगह जगह जुलूस का इस्तकबाल किया | जुलूस में काबिल ए तारीफ कव्वालियों के साथ साथ श्रीराम और हनुमान जी के भजनों की कव्वाली के रूप में मनमोहक प्रस्तुतियां दी गयी | श्री लक्ष्मीनाथ  मंदिर के पास जब कव्वालों ऩे सूफी अंदाज में ' पाँव में घुँघरू बाँध के नाचे जपे राम की माला ' पेश किया तो ऐसा लगा जैसे सारी सृष्टि मंत्रमुग्ध हो थम गयी है और भजनों का रसास्वादन कर रही है |   

उल्लेखनीय है क़ि कस्बे में हर प्रकार के धार्मिक आयोजनों में हर सम्प्रदाय की बराबर की भागीदारी रहती है | आज जब सारा देश अयोध्या मामले  के फैसले पर किसी अनिष्ट की आशंका से त्रस्त है, ऐसे माहौल में राजस्थान के छोटे से कस्बे के इस प्रकार के आयोजन सारे देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं | फतेहपुर कस्बा भले ही भारत के मानचित्र पर छोटा सा स्थान रखता है लेकिन इस प्रकार के आयोजन बता देते है क़ि क्यों आज भी राजस्थान भारत माता के सर का सरताज है और क्यों सारे देश को अपनी इस अनुपम थाती पर नाज है | विकसित और महानगर कहे जाने वाले शहरों के वर्तमान माहौल को देख कर ऐसा लगता है क़ि अगर यही विकास है  तो हम पिछड़े ही भले | महानगरीय संस्कृति में आज जहां आपसी प्रेम और सौहार्द्र  लुप्त हो गए हैं वहीं ग्रामीण परिवेश में आज भी सभी धार्मिक आयोजन एक पारिवारिक उत्सव की भांति मनाये जाते हैं | सारे देश में अयोध्या में मंदिर बनने की प्रार्थना में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ किये जाते हैं,  मस्जिद बनने  की आमीन में सजदे किये जाते हैं  लेकिन यहाँ   मंदिरों की आरती में बजती सैकड़ों घंटियाँ और अल्लाह  की इबादत में  उठे हजारों हाथ यही दुआ मांगते हैं क़ि हमारा भाई चारा और प्रेम यूं ही बना रहे,  इसे किसी की नजर ना लगे  | आपणों फतेहपुर परिवार भी परवर दिगार से यही दुआ माँगता है क़ि यहाँ का अमन  चैन बरकरार रहे और हम गुजरे कल की तरह आने वाले कल में भी कह सकें 
      मिस्त्र  रोमाँ यूनान मिट गए जहां से 
कुछ बात है क़ि हस्ती मिटती नहीं हमारी 

Monday, September 27, 2010

यह कैसा विश्व पर्यटन दिवस ?

विश्व पर्यटन दिवस से ठीक एक दिन पहले रविवार को सीकर में चांदपोल गेट के पास स्थित पुरावैभव की मिसाल रही बुर्ज की बलि दे दी गई। शहर में 11 बुर्ज में से छह पहले ही तोड़े जा चुके हैं। बुर्ज से सटे मकान के मालिक गिरजाशंकर जालान ने बताया कि राव राजा द्वारा यह बुर्ज उनके पूर्वजों को सौंपा गया था। तब से उनका परिवार बुर्ज की सार-संभाल कर रहा है। शनिवार को नगर परिषद की ओर से इस बुर्ज को तोड़ने के संबंध में एक नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में जनहित में यातायात व्यवस्था के लिए इस बुर्ज को तोड़े जाने का हवाला देते हुए २४ घंटे में इससे कब्जा हटाने के लिए कहा गया था। रविवार सुबह करीब सात बजे नगर परिषद के दस्ते ने जेसीबी मशीन से इस बुर्ज को तोड़ना शुरू कर दिया। दोपहर तक बुर्ज को तोड़ दिया गया। 

राव राजा भैरोंसिंह के शासन में विक्रम संवत् 1907   से 1923 के बीच शहर में तीन दरवाजों (चांदपोल, सूरजपोल व नया दूजोद गेट) का निर्माण करवाया गया था। इसके साथ ही दो बुर्ज बनाए गए थे। बुर्ज में गोला-बारूद रखते थे। बुर्ज से सैनिक तोप के साथ निगरानी किया करते थे। शहर के परकोटे से 11 बुर्ज लगते थे। शहर में नानीगेट, बाबुजी की हवेली, दीनदयाल की हवेली व दीवान मार्केट का ही बुर्ज निशानी बतौर बचा है | शहर पहले एक परकोटे के भीतर था। सुरक्षा की दृष्टि से परकोटे के चारों तरफ बुर्ज बनाए गए थे, जहां चौकीदार पहरा देते थे। धीरे-धीरे शहर का परकोटे से बाहर विस्तार होता गया, लेकिन ये बुर्ज आज भी अपने पुरावैभव की दास्तां बयां कर रहे हैं। 

नगर परिषद के अमले ने रविवार सुबह चांदपोल के पास कारीगरों के मोहल्ले में स्थित 150 साल पुराने ऐतिहासिक बुर्ज को ढहा दिया। इस धरोहर को तोड़ने के पीछे नगर परिषद प्रशासन यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए रास्ता चौड़ा करने का तर्क दे रहा है। इधर, नगर परिषद आयुक्त मदनकुमार शर्मा का कहना है कि यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए इस रास्ते को चौड़ा किया जा रहा है। बुर्ज बीच में आ रहा था, इसलिए इसे तोड़ा गया है।

Friday, September 24, 2010

श्रीनगर से ठंडा शेखावाटी

शेखावाटी में पिछले दो दिन चली अविराम बारिश नी गुलाबी ठंडक का एहसास बढ़ा दिया है | चूरू स्थित मौसम केंद्र और फतेहपुर के कृषि विज्ञान केंद्र में दर्ज २४ घंटे के तापमान में सामान्य से 10 डिग्री की गिरावट दर्ज की गयी है | दिलचस्प बात यह है क़ि फतेहपुर का तापमान यहाँ के स्थानीय मौसम केन्द्रों के अनुसार देहरादून से पाँच  एवं श्रीनगर से तीन  डिग्री  नीचे रहा है | वहीं अगर राज्य भर के तापमान से तुलना करें तो कोटा, बाड़मेर, उदयपुर और अजमेर से करीब आठ डिग्री सेल्सियस तक का फर्क है |          यहाँ का अधिकतम तापमान 24.5  डिग्री व न्यूनतम तापमान २४ डिग्री रिकार्ड किया गया है जबकि श्रीनगर में अधिकतम 27.2 व न्यूनतम 15.8 तथा देहरादून में यही क्रमशः 29.6  एवं 23.1 रिकार्ड किया गया है | उल्लेखनीय है क़ि शेखावाटी में इन दिनों सामान्यतया अधिकतम तापमान 35 व न्यूनतम तापमान २७ रहता है, जिसमें करीब दस डिग्री तक की गिरावट आई है मौसम विभाग के अनुसार अभी दो दिन तक और बादल छाए रहेंगे तथा बारिश की संभावना रहेगी | हालांकि ठण्ड एक साथ नहीं बढ़ेगी लेकिन हल्की गुलाबी ठण्ड बनी रहने की संभावना है |            

नहीं खुले ताले

सेठ जीआर चमडिय़ा पीजी कॉलेज में गुरुवार को चौथे दिन भी छात्रों की हड़ताल जारी रही। कॉलेज प्रशासन द्वारा चार व्याख्याताओं के निलंबन के बाद छात्रो ने हड़ताल कर दी तथा कॉलेज को ताला लगा दिया। कॉलेज प्रशासन के अनुरोध पर गुरुवार को पुलिस ने ताला खुलवाया। 

आक्रोशित छात्रों ऩे कालेज प्रशासन पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए बेवजह प्राध्यापकों को हटाने का आरोप लगाया पुलिस की उपस्थिति में कॉलेज प्रशासन और छात्र नेताओं की हुई बातचीत बेनतीजा रही तथा गतिरोध बना हुआ है। छात्रों के एक गुट द्वारा हड़ताल का विरोध  करने से तनाव भी बना हुआ है।  बाद में छात्रों ऩे एसडीएम को अपनी  मांगों का ज्ञापन सौंपा तथा समस्याओं के शीघ्र समाधान की मांग की |

दरगाह में उर्स का आगाज

ऐतिहासिक हजरत नजमुद्दीन सुलेमानी चिश्ती की दरगाह पर गुरुवार को सज्जादानशीन पीर गुलाम नसीर द्वारा दरगाह के बुलंद दरवाजे पर अस्र की नमाज के बाद झंडा फहराकर उर्स का आगाज किया गया। इस अवसर पर अनेक जायरीन उपस्थित थे। सज्जादानशीन ने बताया कि उर्स के झंडे बरसों से नफासत अहमद सिराजी जोधपुर द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। गुरुवार अद्र्धरात्रि को कुल की रस्म अदा की गई। दरगाह के पीर गुलाम नसीर ऩे बताया हजरत ख्वाजा हाजी नजमुद्दीन सुलेमानी चिश्ती अलफारुकी का सालाना उर्स आगामी बुधवार तक चलेगा। उर्स में २४ से २८ सितंबर तक प्रतिदिन अनेक कार्यक्रम होंगे। इसमें शनिवार को मुशायरा होगा। इसके अलावा प्रतिदिन  कुरआनख्वानी, महफिले कव्वाली, वाजो मिलाद आदि कार्यक्रम भी होंगे। उर्स में चूरू, झुंझुनूं, बीकानेर, जोधपुर, मकराना, डीडवाना, कुचामन, अहमदाबाद आदि स्थानों से अनेक जायरीन भाग लेने पहुंचे। दरगाह के बाहर उर्स में मेले जैसा माहौल है। विशाल झूले, मौत का कु आं व स्टालें आदि लगाई गई हैं |
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Thursday, September 23, 2010

भगवान पाश्र्र्वनाथ की रथयात्रा निकाली

अनंत चतुर्दशी पर जैन दिगंबर समाज द्वारा बुधवार को भगवान श्री पाश्र्र्वनाथ की शोभायात्रा निकाली गई। जैन नवयुवक मंडल के अध्यक्ष प्रमोद जैन ने बताया कि श्री दिगंबर जैन मंदिर में दस दिन से चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों का समापन हुआ। दिन में नए जैन मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और भगवान बासुपूज्य के मोक्ष कल्याण के अवसर पर निर्वाण लड्डू चढ़ाए गए। दोपहर में पूजन के बाद भगवान श्री पाश्र्र्वनाथ की रजत रथयात्रा ऐरावत हाथी, धूपदान, पांडुकशिला सहित शाही लवाजमे के साथ निकाली गई जो कस्बेे के प्रमुख मार्गों से होती हुई बड़ा बाजार स्थित जैन मंदिर पहुंची। रथयात्रा में रथ में बैठने का सौभाग्य नेमीचंद लील्हा को मिला। सारथी की डाक शंकर कोतवाल, माला का सौभाग्य धर्मचंद बडज़ात्या, घोड़े पर बैठने का सौभाग्य विश्वनाथ सरावगी को मिला।  जैन समाज के अनेक गणमान्य लोग शोभा यात्रा में उपस्थित थे। जैन समाज ने अनंत चतुर्दशी पर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखे | 

Wednesday, September 22, 2010

अविरल बरसात से दाह संस्कार भी रुके

गजल की मानिंद समूचे शेखावाटी की प्यासी धरती पर ऊपर वाले ने रहमत बरसाई तो रेत के टीले भी हरियाली में खो गए | खेती पालने वाले किसान से लेकर हर आम-औ-ख़ास बारिश से बाग़-बाग़ हो गया | अब जरुरत से ज्यादा बरसात होती रही तो चिड़ियों के लिए दाना और बच्चों को गुड धानी देने के लिए फसल कैसे बच पायेगी, मंगलवार को पानी में डूबे खेत को देख कर बार बार आसमान की तरफ आँखें गडाए किसानों के दिल में यही दर्द उठ रहा था | खेतों में खडा अनाज तो सारा भीग ही चुका है, अगर बारिश इसी तरह जारी रही तो चारा और कड़बी भी नष्ट हो जायेंगे | लगातार बरसती बारिश ने क्षण भर के लिए भी रुकने का नाम नहीं लिया जिससे दाह संस्कार के लिए शवयात्राएं ले जाने हेतु भी परिजन प्रतीक्षारत रहे आखिर में शाम को तेज बारिश में ही शव यात्राएं श्मशान भूमि पहुँची एवं जैसे तैसे दाह संस्कार का कार्य आधा अधूरा निपटाया | 

आम तौर पर शेखावाटी के लिए आसमान से बरसती बूंदें सुनहरे भविष्य की उम्मीद के रूप में देखी जाती हैं। लेकिन, इस बार ये बूंदें देखते ही देखते राहत से आफत में बदलती गईं। इस बार मौसम की मेहरबानी का जश्न परवान पर पहुंचने ही वाला था कि इसी पानी ने इस उत्सव पर पानी फेर दिया। चिंता की लकीरें चेहरे के सुकून को नोंचती जा रही है | मंगलवार को हुई बरसात स्कूली बच्चों के लिए मुसीबत बनकर आई। सुबह परिजनों ने बच्चों को जैसे-तैसे स्कूल तो भेज दिया, लेकिन दोपहर तक बारिश का दौर नहीं थमने पर परिजनों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी। स्कूलों के बाहर छुट्टी के बाद हाथ में छतरी लिए परिजनों की लम्बी कतार लगी रही। छुट्टी के बाद कई बच्चें बारिश में भीगते हुए घर पहुंचे। वहीं कई स्कूली वाहन भी जाम में फंस गए। 

जन का जीवन अस्त-व्यस्त हुआ ही, धरती में किसान के खून पसीने से उगा सोना भी मिट्टी बनता जा रहा है । बरसात में अस्त-व्यस्त हुआ शहर हर हाल में अपने हाल पर है । शहर से बाहर जाने के सभी रास्ते लगभग बंद हो चुके हैं और सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दिया गया है | इधर, इन सबके बीच व्यवस्थाओं की कमान थामने वाली नगरपालिका का लवाजमा जनता को अपने हाल पर छोड़ हाथ पर हाथ धरे दफ्तरों में बैठा है | बारिश से उपजी आमजन की पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं है |

समूचे शेखावाटी  में भी कमोबेश हालात ऐसे ही हैं । अंचल में भारी बरसात से किसानों की खुशियों पर तो बहुत पहले ही ग्रहण लग चुका है। अब मौसम बीमारियों की चिंता लोगों को सताने लगी है। हल्की गुलाबी ठंड के अहसास के साथ बारिश का दौर शुरू हो जाने से अब मौसमी बीमारियों का दौर शुरू हो जाएगा।

Monday, September 20, 2010

मरा नहीं है अभी मेरा फतेहपुर

लोगों  का मानना है क़ि 600 वर्ष पुराना फतेहपुर अब मर चुका है. सेठ साहूकारों की इस नगरी में न जाने कितनी कलाएं पनपीं और परवान चढ़ी. कितने कलाकार, कवि  और हुनरमंद लोग दिए इस नगर ने,  पर लगभग तीन दशक से यह शहर खोखला होने लगा है. इसके घुन किसने लगायी, यह एक यक्ष प्रश्न है? 

पुरातात्विक धरोहर से सम्पन्न इस शहर को शहरवासी ही लूटने को आमादा हो गए | श्रेष्ठ संतों की नगरी में असुरी प्रवृत्तियां तेजी से पनपने लगी और आज भी तेजी से पाँव पसार रही हैं. भ्रष्टाचार का अजगर सारे शहर को लीलने को तैयार है. लक्ष्मीनाथ जी, बुद्धगिरी जी और अमृतनाथ  जी इसे टुकुर-टुकुर देख रहे हैं. प्रवासी जन प्रवास में मस्त हैं. यहाँ नौकरी पेशा लोग अपने घरों में मस्त हैं. शहर को ध्वस्त करने वाले लोग अपनी कारगुजारी में मस्त हैं. शहर की सुध कौन ले?  इसकी गलियां रोजाना संकुचित हो जाती हैं और नरक की भांति सड़ रही हैं. कब्जे करने वालों ने मंदिर, कुँए बावडियों को भी नहीं बख्शा | आपा धापी की इस रामारोळ में नगरपालिका जैसी नगर सुधार की संस्था कान में उंगली डाल कर सो गयी है. पार्षदों को परस्पर 'उतर भीखा म्हारी बारी' का खेल खेलने से ही फुर्सत नहीं है | 

वस्तुतः फतेहपुर मरा नहीं है. इसे कुछ लोग मारने  के प्रयत्न में जुटे हैं,  उन्होंने शहर को बीमार कर छोड़ा है |  क्या फतेहपुर की बीमारी लाइलाज है ? क्या इसका स्वस्थ सांस्कृतिक स्वरुप लौटाया नहीं जा सकता ? ये प्रश्न अगर यहाँ के थोड़े से भी वाशिंदों के मन में उगने लगे तो फतेहपुर क्षय मुक्त हो सकता है. गत वर्षों में यहाँ अंधाधुंध लोग बाहर से आकर बसे हैं, नौकरियां करने वाले लोग आयें हैं, आस पास के देहातों से लोग व्यापार करने यहाँ आकर बस गए पर दुर्भाग्य यह है क़ि वे लोग केवल इस शहर का दोहन करना जानते हैं. उनमें से अधिकाँश का शहर से कोई भावनात्मक सम्बन्ध नहीं है,  शहर से किसी प्रकार का कोई लगाव नहीं है, शहर की दुर्दशा पर अफ़सोस नहीं है और  शहर के रचनात्मक कार्यों  में उनकी भागीदारी नहीं के बराबर है |   कुछ पुराने बुद्धिजीवी जो कुछ करने की मन में टीस रखते हैं, अपना तन मन धन देकर प्रवासियों को यहाँ पैसा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं , उन्हें भी मौकापरस्त स्वार्थी लोग बदनाम करने की कोशिश करते हैं और उनके कामों में अड़चन पैदा करते हैं जिससे उनका भी हौसला धीरे धीरे टूटता जा रहा है तथा वो भी इस ढंग की गतिविधियों से परे हटते जा रहे हैं |इसका जीता जागता उदाहरण है बंद पड़े बूबना वाटर वर्क्स, सिंघानिया वाटर वर्क्स, बाजोरिया वाटर वर्क्स, भरतिया अस्पताल, बाजोरिया पाठशाला तथा जीने की आकांक्षा रखते पोद्दार अस्पताल और केडिया हॉस्पिटल, सूर्यमंडल, चमडिया वाटर वर्क्स, चमडिया स्कूल, चमडिया कालेज, चमडिया आयुर्वेदिक हॉस्पिटल,  बूबना आई हॉस्पिटल, पिंजरापोल गौशाला और ना जाने कितनी ही संस्थाएं जिन पर स्वार्थी तत्वों की गिद्ध दृष्टि जमी है  |

अभी भी इस शहर में कार्यकर्ताओं की कमी नहीं है, उनकी इच्छा शक्ति में कोई कमी नहीं है, कमी है तो सिर्फ हाथ से हाथ मिलाने की | यहाँ के कार्यकर्ता अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति और अपनी माटी से लगाव के चलते प्रवासियों को प्रेरित कर उनके सहयोग से आज भी नगर को नयी पहचान दिलाने की लड़ाई लड़ रहें हैं जिसका जीवंत उदाहरण है गोयनका सती मंदिर, श्री बुद्धगिरि जी की मढी, हालिया निर्मित गणेश मंदिर और मोहनलाल मोदी हॉस्पिटल | ये सभी वे नाम हैं जिन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के बल पर अल्प समय  में ही अपनी पहचान आस पास के क्षेत्र में कायम की है और आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं | फतेहपुर वासियों,  जागो,  इस मरते हुए शहर को जीवन दो. गर्व से कहो हम अपने शहर को मरने नहीं देंगे |
                                                                                                                          - देवकीनंदन ढ़ाढणिया        

Saturday, September 18, 2010

निशुल्क कैंसर जांच शिविर

लायंस क्लब के सौजन्य से कस्बे में आज निशुल्क कैंसर जांच एवं निदान तथा तंबाकू दुष्परिणाम जागरूकता शिविर लगाया गया । सचिव ओ पी जाखड़ तथा संयोजक मधुसूदन शर्मा ने बताया कि लायंस क्लब, सुमिता टेक्स्ट स्पिन प्रा लि एवं ओमप्रकाश पोद्दार के सहयोग से भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र के तत्वावधान में पोद्दार अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनों के द्वारा कैंसर रोगियों की जांच की गयी । शिविर में लोगों को तंबाकू के दुष्परिणामों की जानकारी दी गयी । शिविर में फतेहपुर के अलावा अन्य आस पास के कस्बों से रोगियों ने आकर जांच करवाई | शिविर में कुल 80 रोगियों का पंजीयन हुआ |

Friday, September 17, 2010

गणेश पूजा विसर्जन समारोह



नगर में  पाँच दिन से चल रही गणेश  पूजा का समापन आज अत्यंत धूम धाम से जुलूस के साथ हुआ | आज अपरान्ह नगर के  सभी गणेश पूजा समारोहों से गणपति बप्पा की मूर्ति के साथ सुन्दर झांकियां तैयार करके निकली गयी जो भव्य शोभा यात्रा के रूप में मुख्य बाज़ार, बावडी गेट तथा सभी मुख्य मार्गों से होती हुयी घड़वा जोहड़े पर पहुँची,  वहां सभी गणेश भक्तों ने गणपति बप्पा मोरिया के नारे लगाते हुए महाराज गजानन आवो जी जैसे भजनों पर नाचते गाते झूमते हुए मूर्ति का विसर्जन किया  |  शोभा यात्रा में नाचने वाली घोडी बुलाई गयी थी जिसने गणेश जी के भजनों पर आकर्षक नृत्य का प्रदर्शन किया | पूरी शोभा यात्रा में घोडी सभी के आकर्षण का केन्द्र बनी रही |

Thursday, September 16, 2010

लक्ष्मीनाथ मंदिर में भागवत कथा का शुभारम्भ

श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर में प्रति वर्ष आयोजित होने वाली श्रीमद भागवत कथा का शुभारम्भ 15 सितम्बर को मंदिर  प्रांगण में हो गया | हर वर्ष मंदिर में भागवत कथा वाचन का कार्यक्रम भाद्रपद मास में आयोजित किया जाता है | इस वर्ष यह सौभाग्य केजड़ीवाल परिवार को प्राप्त हुआ है | श्री नवरंगलाल  केजड़ीवाल परिवार के सौजन्य से आयोजित होने वाली कथा अपनी प्रतिष्ठा पूर्ण परम्परा के अनुसार 15 सितम्बर 2010 को प्रारम्भ हुयी  तथा भगवान् श्री कृष्ण की लोक रंजनकारी  लीलाओं के कथा प्रसंग उत्सवों के साथ 23 सितम्बर 2010 को शोभा यात्रा के साथ समापन होगा | हम भक्त गणों से निवेदन करते हैं क़ि अधिक से अधिक संख्या में पधार कर कथामृत का रसपान कर लाभान्वित हों |  

Wednesday, September 15, 2010

ब्लड बैंक का उदघाटन


लम्बे इंतजार के बाद फ़तेहपुर को भी आज ब्लड बैंक की सौगात मिल गई | स्थानीय राजकीय धानुका अस्पताल में आज ब्लड बैंक का उदघाटन विधायक भंवरु खान ने फीता काटकर किया  | अब तक फतेहपुर वासियों को खून की आवश्यकता होने पर सीकर या चुरू भागना पड़ता था, ब्लड बैंक खुल जाने से अब यहीं रक्त उपलब्ध हो जाया करेगा | आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति ब्लड बैंक खुल जाने से अधिक लाभान्वित होंगे | नई सुविधा का लाभ स्थानीय निवासियों को तो मिलेगा ही, आस पास के ग्रामीण इलाकों के लोग भी लाभान्वित होंगे |

Tuesday, September 14, 2010

दबंग बनी सिर दर्द




लोकप्रिय अभिनेता सलमान खान की बहुत चर्चित हालिया रिलीज  फिल्म दबंग उनके डूबते कैरियर की नैया पार लगा पाएगी या नहीं इस प्रश्न का जवाब तो फिलहाल समय के पास ही है लेकिन फिल्म ने रिलीज होते ही एक स्थानीय निजी स्कूल संचालक का सिरदर्द जरूर बढ़ा दिया है | जैसा कि  संलग्न फोटो में आप देख सकते हैं जयपुर में छपे  दबंग फिल्म के पोस्टरों में फ़तेहपुर की न्यू राजस्थान पब्लिक स्कूल का नाम व फोन नंबर  मुद्रक की गलती की वजह से छप गया | फिल्म के रिलीज होने के साथ साथ जैसे ही ये पोस्टर शहर में  चिपकने शुरू हुये, स्कूल में फोनों की बाढ़ सी आनी शुरू हो गई | उक्त स्कूल के निदेशक श्री ओमप्रकाश जाखड़ के पास आने वाले इन फोनों में कोई एडवांस बुकिंग करवाने की बात करता है, कोई टिकट ना मिलने की शिकायत करता है तो कोई सलमान खान से मिलने की इच्छा जताता है | बहरहाल हम तो इश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि फिल्म ऐसी ही चर्चा सलमान भाई को भी दिलाये और श्री ओमप्रकाश जी को इस अनचाही मुसीबत से छुटकारा दिलाये |                    

    

Monday, September 13, 2010

गणेश पूजा परवान पर


नगर में गणेश भक्ति का जोर अभी भी थमता नजर नहीं आ रहा | मुख्य डाकघर  के पास आयोजित गणेश पूजा सार्वजनिक महोत्सव में रोज भक्तों की भीड़ भारी संख्या में गणपति बप्पा के दर्शन करने आ रही है | इस वर्ष गणेश पूजा का यह आठवाँ आयोजन है , सुन्दर आयोजन एवं व्यवस्था के लिए आयोजन समिति धन्यवाद की पात्र है | इस प्रकार के आयोजन जहाँ नगर के धर्म प्रेमियों के ह्रदय को प्रफुल्लित करते हैं वहीं  सामाजिक सौहार्द्र में भी अभिवृद्धि करते हैं | इस प्रकार के आयोजनों को बढ़ावा मिलना चाहिए |

Sunday, September 12, 2010

गणेश मंदिर का लोकार्पण



श्री शिवदेव पोद्दार जनकल्याण ट्रस्ट कोलकाता द्वारा श्री बुधगीरी जी की मढ़ी के पास नवनिर्मित श्री गणेश मंदिर का भव्य लोकार्पण समारोह सम्पन हुवा इस से पहले श्री आत्मा राम पोद्दार व पोद्दार परिवार द्वारा गणेश प्रतिमा का विधिविधान से पूजन किया गया ! मंदिर प्रांगण में दिनभर दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहा , इस अवसर पर महंत दिनेश गिरी जी महाराज व आत्माराम पोद्दार ने पधारे हुए सभी संतो व् अतिथियों का स्वागत व सम्मान किया , उक्त मंदिर नगर का सबसे विशाल व भव्य गणेश मंदिर है. पोद्दार परिवार का फतेहपुर से हमेशा अत्यंत लगाव रहा है . गणेश मंदिर के रूप में पोद्दार परिवार ने अपनी इश्वर भक्ति व नगर प्रेम का एक और नजराना फतेहपुर को पेश किया है.

आसमान भी रो पड़ा आरती और अजान सुनकर

आज जब गणेश और अल्लाह गले मिले तो ऐसा लगा जैसे सारी सृष्टि इस अनोखे संगम का अनूठा आनंद उठा रही हो और इन्द्र देव की आँखों से खुशियों के आंसू बरस बरस कर सभी को क्षमापना पर्व की शुभ कामनाएं दे  रहे हों. आज गणेश चतुर्थी और ईदुलफितर के संगम पर पूरे दिन धीमी धीमी फुहारें बरसती रही और मौसम खुशनुमा बना रहा. साथ ही साथ जैन समाज के  क्षमापना पर्व के भी आने से तीन मजहबों के पर्वों की त्रिवेणी ने फिजां में अनूठी खुशी घोल दी.

आज बरसों बाद गणेश चतुर्थी और ईद का त्यौहार एक ही दिन आया और सभी नगर वासी जश्न के रंग में डूबे रहे.एक तरफ मंदिरों में भगवान गणेश के जन्मोत्सव के डंके बज रहे थे, वहीं दूसरी ओर मस्जिदों व ईदगाह पर मुल्क में अमन-चैन की दुआ मांगी जा रही थी। अल्लाह की इबादत में जहां एक साथ हजारों हाथ उठे वहीं दर्शन के लिए भक्तों की लम्बी कतार लगी। चारों तरफ बहती खुशियों की बयार में हिन्दू और मुस्लिमों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं प्रेषित कर आपसी भाईचारे को परवान चढ़ाया। हर घर में उत्सव था। गली-गली में खुशियां बिखरी थी। आरती, आराधना और इबादत के अद्भुत मेल से श्रद्धा लबरेज थी।

ईदुफितर की नमाज के बाद एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया। मुबारकबाद देने के लिए काफी तादाद में हिंदू भी पहुंचे। ईद की वजह से बाजारों में दिनभर खासी चहल-पहल रही।  गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों के बीच गणोश चतुर्थी हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। घर-घर गणपति की स्थापना की गई। सुबह से शाम तक श्रद्धालु गणपति की पूजन-अर्चन में लगे रहे।घरों  के मुख्य दरवाजे पर स्थित गणोशजी की मूर्ति को भी सिंदूर व नए वस्त्र चढ़ाकर परिवार के सदस्यों ने मिलकर पूजा-अर्चना कर सुख-शांति की प्रार्थना की।  मुख्य डाकघर के पास गणेश पूजा महोत्सव का शुभारम्भ किया गया जिसमे नगर के कई गणमान्य नागरिकों ने शिरकत की 

Wednesday, September 8, 2010

भादी मावस का मेला


                   
आंम तौर पर सूने सूने नजर आने वाले सती मंदिरों की फिजां आज बदली बदली सी नजर आ रही है. सभी कुल देवियों के भक्त देश के कोने कोने से अपनी सती माता को धोक देने आये हैं. इसी कारण तीन - चार दिनों से पूरे शहर में कुछ अलग ही किस्म की रौनक नजर आ रही है . गोली चूरण की दुकानें ग्राहकों से अटी पडी है साथ ही साथ कैर, सांगरी, मेहंदी, रोली, गूंद  के खरीददारों की संख्या कई गुना बढ़ गयी है . संकड़े बाजार में अचानक गाड़ियों की आवा जाही बढ़ जाने से जगह जगह जाम लगे हैं सभी धर्मशालाएं यात्रियों से खचाखच भरी है कहीं तिल रखने की भी जगह नहीं है. सभी सैलानी आज अपनी अपनी कुल देवियों को धोक देंगे और वापस गंतव्य स्थान को प्रस्थान करेंगे  

धीरे धीरे शाम ढलने तक सब कुछ पहले की भांति पटरी पर आने लगेगा.  वही ताले लगी सूनी सूनी हवेलियाँ,  वीरान गलियाँ और सती मंदिरों में इक्के दुक्के दर्शनार्थी. शायद यही इस शहर की नियति है. यहाँ की माटी के करोंडो रत्न आज देश के औद्योगिक जगत में सितारे की तरह देदीप्यमान हैं किन्तु उपेक्षा इस नगर की तकदीर बन चुकी है. अनेकों सैलानी ऐसे हैं जो खुद की हवेलियाँ यहाँ होते हुए भी होटलों या धर्मशालाओं में रुके हैं. कारण बरसों से बंद पडी हवेलियों की सफाई में इतना समय लग जाना है क़ि सारी छुट्टियाँ उसी में गुजर जायेंगी .इसीलिये हर साल ये लोग भादी मावस पर धोक देने आते हैं और धोक देकर यहाँ के निवासियों और प्रशासन को कोसते हुए वापस चले जाते हैं . हर साल यहाँ से जाने वाले परिवारों की फेहरिस्त में दस- पंद्रह नाम बढ़  जाते हैं और साथ ही साथ लम्बी हो जाती है बंद पडी हवेलियों की सूची भी. नगर को बरसों से इंतज़ार है क़ि इस माटी की संतानों के सिर पर विराजमान नगर देव श्री लक्ष्मीनाथ जी का वरद हस्त कभी स्वयं नगर के सिर पर आकर उसकी नियति भी बदलेगा या ये सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा. इस प्रश्न का उत्तर लिहाजा काल चक्र के हाथ में है जिसका इंतज़ार आपको और मुझे बेसब्री से है.

Monday, September 6, 2010

खुलने लगे हैं ताले

एक बार फिर भादी मावस आते ही सूनी पडी हवेलियों की पथराई आँखों में कुछ चमक लौटने लगी है, और क्यों न लौटे साल में एक बार जब उनका ताला खुलता है वो दिन फिर आने वाला है. भादी मावस पर बहुत से प्रवासी अपनी सती माता को धोक देने के लिए अपनी जन्म भूमि पर कदम रखते हैं. शायद ये यहाँ की माटी की बदनसीबी है क़ि सती माता के भक्तों को जन्म भूमि की  सुध लेने की फुर्सत कम ही मिलती है  दिन ब दिन खंडहर में परिवर्तित होती हवेलियों का अप्रतिम सौंदर्य यहाँ के निवासियों को भी शायद नहीं सुहाता इसीलिये रजवाड़ी शान औ शौकत की पर्याय हवेलियों शनै शनै भू माफियाओं के चंगुल में आकर कंकरीट के जंगलों में परिवर्तित होती जा रही है. प्रवासियों को उनकी सुध लेने की फुर्सत नहीं है और स्थानीय नागरिक उनसे पंगा लेने की जहमत मोल नहीं लेना चाहते, और नतीजतन परम्परा और संस्कृति की प्रतीक चिन्ह हवेलियाँ काल के गर्त में समाती जा रहीं हैं.

कैसी अजीब विडम्बना है क़ि फ्रांस की एक लेडी आकर यहाँ की कला का महत्त्व समझ जाती है और एक हवेली का पुनरुद्धार करा आर्ट गैलेरी शुरू कर देती है लेकिन यहाँ के बाशिंदे स्वयं ये सब देख कर भी अनदेखे बने रहते हैं. निकटवर्ती कस्बा मंडावा कला समृद्धि के लिहाज से फतेहपुर को देखते हुए अत्यंत गौण है किन्तु पर्यटन व विकास में कई गुना आगे है . उल्लेखनीय है मंडावा की हवेलियाँ जिनका रूपांतरण होटलों के रूप में कर दिया गया था आजकल विदेशी सैलानियों से भरी रहती है . लेकिन फतेहपुर निवासियों की आँखों की पट्टी ना जाने कब खुलेगी. भगवान जाने कभी यहाँ के भी दिन आयेंगे या फिर यूं ही ये अनमोल विरासत सिसक सिसक के दम तोड़ देगी

Sunday, September 5, 2010

खाक में मिलती धरोहर

हैरिटेज सिटी का सपना संजोये फतेहपुर नगर की एक और धरोहर ने सिसकते सिसकते आखिर दम तोड़ दिया. प्रशासन की लापरवाही और प्रवासियों की बेरुखी का खामियाजा एक बार फिर हमारी जन्म भूमि को भुगतना पड़ा है. बावड़ी गेट पर मुख्य सड़क पर अवस्थित लाल पत्थरों वाली हवेली अपनी बेजोड़ कलाकारी व नक्काशी के कारण हमेशा से विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र थी. हवेली लाल पत्थरों से निर्मित अपने प्रकार की अकेली हवेली थी तथा स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना थी. उल्लेखनीय है क़ि गत मास में ही एक अन्य हवेली भी इसी प्रकार सार-संभाल व देखरेख के अभाव में काल कवलित हो गयी थी
.

नगर में अभी भी सैंकड़ो की तादाद में ऐसी हवेलियाँ हैं जो वास्तविक मालिकों के प्रवास के कारण बिना सार-संभाल व देख रेख के आखिरी साँसें ले रहीं हैं. अगर प्रवासी वर्ग इस सन्दर्भ में कुछ जागरूक हो और प्रशासन की नींद टूटे तो न सिर्फ इस अनमोल धरोहर को मिटने से बचाया जा सकता है, अपितु अगर भली- भांति इस दिशा में सुव्यवस्थित प्रयास किये जायें तो विश्व के पर्यटन मानचित्र पर फतेहपुर नए कोहिनूर के रूप में चमक सकता है.

Friday, September 3, 2010

दरगाह में जन्माष्टमी मेला परवान पर




सदा से साम्प्रदायिक एकता की मिसाल माने जाने वाले शेखावाटी अंचल के चिडावा में हर साल नरहड़ स्थित सूफी संत हजरत शकरबार शाह की दरगाह में जन्माष्टमी का मेला भरता है. हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एकता का प्रतीक: करीब 750 वर्ष पुरानी हजरत शकरबार शाह की नरहड़ स्थित दरगाह में हर वर्ष लगने वाला जन्माष्टमी मेला हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एकता का जीता जागता प्रमाण है।  मराठी माणसां ची मुंबई के इस दौर में राजस्थान के छोटे से कस्बे  का यह  आयोजन  अपने आप को सभ्य और शहरी कहने वालों के मुंह पर करारे  तमाचे की तरह  है.  दरगाह खादिम हाजी अजीज खान पठान बताते हैं कि जैसा जलसा बाबा के सालाना उर्स में होता है ठीक वैसा ही उत्सव जन्माष्टमी मेले में रहता है। जन्माष्टमी मेले में देश के सभी  राज्यों में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी हिंदू धर्मावलंबी विवाह की जात और पुत्र जन्मोत्सव पर जड़ूले की रस्म अदायगी के लिए नरहड़ आते हैं
दरगाह में गुरुवार को जन्माष्टमी मेला परवान पर रहा। धर्म-मजहब को मानने वाले जायरीनों-जातरूओं ने पूरी शिद्दत से दरगाह की चौखट चूमकर बाबा की मजार पर अकीदत के फूल और मन्नत की चादरें चढ़ाई। जन्माष्टमी पर्व पर हजरत शकरबार शाह की दरगाह में सालाना उर्स की माफिक उत्सवी माहौल सांप्रदायिक सद्भाव और कौमी एकता की मिसाल को और गाढ़ा करता नजर आया। जिसमें छप्पन प्रकार के व्यंजनों, मिष्ठानों, फ्रूट-ड्राई फ्रूट की शिरनियां सजाई गई। कव्वाल सलीम राजा दिलावर एंड पार्टी ने कव्वालियों से बाबा का दरबार सजाया। इंतजामिया कमेटी के सदर अब्दुल लतीफ पठान ने बताया कि जन्माष्टमी मेले पर नरहड़ आने वाले हिंदू धर्मावलंबी जातरूओं की सुविधार्थ विशेष इंतजामात किए गए। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय मेले का समापन शुक्रवार दोपहर जुम्मे की नमाज के साथ होगा।

Thursday, September 2, 2010

पहली चिट्ठी

रेतीले धोरों की सौंधी माटी की महक वाला फ़तेहपुर  शूरवीरों की धरती है, संतों की तपोभूमि है , विद्वानों की यशोभूमि है, धन-कुबेरों की जन्म भूमि है.  अपने  अन्दर  अनेक  रहस्य  छुपाये  अनोखा  और  अनूठा  है .यह फ़तेहपुर यहाँ  की  हर  वस्तु में   रंग -रंगीली ,चिर  पुरातन  नित्य  नवेली अनुकूलता  प्रतिकूलता  समता  विषमता  और  अनेक  विरोधाभासो  का  संग्रह  और  समन्वय  देखा  जा  सकता  है .यहाँ  यह  धोरो  और  मोरो  कि धरती  शिग्रह  ही  तपन  और  ठिठुरन  से  प्रभवित  हो  जाती  है .शायद  इसी  कारन  यहाँ  के  चिंतन  में  समुद्र  की   सी  गहराई  भी  है  तो साधारण  पोखर  सा  छिछलापन  भी ,हिमालय  की  सी  ऊंचाई  है  तो  बालुका  कण  की  लघुता  भी ,जेठ  की  तपन  भी  है  तो  सावन  की  रिमझिम  भी .पौष  माघ  की  ठिठुरन  है  तो  फागुन  की  मादक  बयार  भी .फिनिक्स  पक्षी  की  तरह  मर  मर  कर  पुनः  जीवित  होना  और  जीते  जी  मर  जाना  इस  क्षेत्र  की  विशेषता   रही  है . कालचक्र  के  थपेड़े   इस ख्सेत्र  के  इतिहास  को  बिगड़  न  सके . वे  इसके  पृष्ठ  बनकर  रह  गए .विपदाओ  का  दूध  और  आंधी  की  लोरियां सुन  सुन  कर  यहाँ  के  लोगो ने  जीवन  के  हर  क्षेत्र  में  नए  नए  कीर्तिमान  स्थापित  किये  है .

यहाँ  की  मिटटी  और  मानव  में  अनूठा  तारतम्य  है. बालू  के  कण  हवा  के  साथ  उड़ते  रहते  है ,इस  प्रक्रिया  में  कही  उचे  टीले  बन  जाते  है  तो गहरे  गर्त .इसी  प्रकृति  और  स्वाभाव  का  है  यह  का  मानव ! परिस्थितियों  की  प्रतिकूलता  और  अनुकूलता  से  वह  गगन चुम्बी उड़ान भरता है  तो  भू  स्पर्श  भी .  क्षणे  तुश्ते  क्षणे रुश्ते  रुश्ते  तुश्ते  क्षणे  क्षणे  स्वाभाव  वाले  शेखावाटी  क्षेत्र  के  लोग  वामन  से  विराट बनते  देखे  गए  है तो  करोडपति से  रोडपति  बनते  भी  देर  नहीं  लगती .यहाँ  की  मिटटी शरीर  के  चिपकती  नहीं  मतलब  ममता  तो  है  पर मोह  नहीं .इसी  कारण  तो  इस  धरती  के  बेटे  इसे  छोड़  कर  यत्र  तत्र  सर्वत्र  छा  गए  है .ठीक  काली  पीली  आंधी  की  तरह ,तभी  तो मोहमाया  के  बंधन  तोड़कर  यहाँ  के  संत  महात्मा  ऋषि  परंपरा  का  निर्वाह करते  प्रतीत  होते  है .इस  क्षेत्र  की  राजनीति  भी  इसी परंपरा  का  पालन  करती  इन्द्र  धनुषी  रंग  दिखाती  सी  लगती  है .

बगड़  पिलानी  शिक्षा  के  केन्द्र  है  तो  खेतानी   खनन  द्वारा  सोना  उगलती  है  डूंडलोद ,अमरसर,मंडावा ,सूरजगढ़ ,राम्घाद ,रींगस  यहाँ  के  प्रमुख  अन्य  शहर  है .शाकम्भरी ,सालासर ,लोहार्गल ,खाटू  धाम .जीन  माता ,घड  गणेश्वर ,दो  जानटी  धाम ,बऊ  धाम ,अमृत  आश्रम ,बुद्ध  गिरी  मढ़ी  यहाँ  की  तपोभूमि ,धर्म  भूमि  और  पर्यटन स्थली  है .यहाँ  की  हवेलियों  के  भित्ति  चित्र  यहाँ  के  इतिहास  का  प्रमुख  पृष्ठ  है  तो  कला  का  अनूठा  अजायबघर  भी .स्थापत्य  कला ,शिल्प  कला  के सजीव  उदाहरण  यहाँ  के  कुए , बावरी ,तालाब,स्मारक  और  गढ़  है  तो  काष्ठ कला  और  पत्थर  की  कारीगरी  कला  का  बेजोड़  नमूना  है  और  देशी विदेशी  सैलानियों  के  लिए  चुम्बकीय  आकर्षण .

यहाँ   का  इतिहास  किसी  लेखक  की  लेखनी  का  गुलाम  नहीं  वह  जनजन  की  जबान  पर  लोक  काया और  लोकगीत  बनकर  साहित्य  की  अनमोल धरोहर  बन  गया  है .यहाँ  के  ख्याल , फागुन  गीत , ब्याव्ली  धमाल , नानी  बाई  रो  मायरो , डूंगर  जी  जुहार  जी  के  कथानक , गोगा  जी  के  गीत , पाबू  जी  की  फंड , तेजाजी  भक्त  पूरण  मॉल , मोर   ध्वज  आदि  संगीत  साहित्य और  इतिहास  के  त्रिवेणी  संगम  है .

 इस  प्रकार  सबरस ,सबरंग  समेटे  यह  फतेहपुर शेखावाटी  अंचल  की  धड़कन है  तो  भारत  माता  के  गले  का  हार .इस  भू  भाग  की  साडी  विशेषताओ , गतिविधियों , उपलब्धियों  को  एक  लेख  में  समेटना  कठिन  है .  इस माटी के बेटों को यहाँ की सौंधी खुशबू  से जोड़े रख सकें  और माटी  का मोह सब के ह्रदय में कायम रख सकें ऐसी फतेहपुर नागरिक परिषद् की कोशिश रहती है . इसी क्रम में लगभग दस वर्ष पूर्व एक मासिक पत्रिका लोकवाणी भी हमने प्रारम्भ  की थी  जो क़ि सभी प्रवासी बंधुओं को कोरियर दस माध्यम से निशुल्क भेजी जाती थी. अब इसी कड़ी में  इस ब्लॉग के जरिये हम फिर एक कोशिश शुरू कर रहे हैं जिससे देश देश के कोने कोने में बिखरे मोतियों को एक लड़ी में पिरो सकें. आशा है आप सभी का सहयोग और प्यार हमें मिलता रहेगा