Wednesday, September 29, 2010

उर्स में भजन - हस्ती मिटती नहीं हमारी


हजरत ख्वाजा हाजी मोहम्मद नजमुद्दीन की ऐतिहासिक दरगाह के सालाना उर्स में मंगलवार को चादर का जुलूस निकाला गया।  जौहर की नमाज के बाद चेजारों के मोहल्ले से जुलूस निकाला गया। ऊंट, घोड़ा व बैंडबाजे के साथ शाही लवाजमे के साथ निकाले गए जुलूस में मुख्य चादर सहित आधा दर्जन अन्य चादर भी शमिल थी। जुलूस में  ख्वाजा की खिदमत में कव्वालियां पेश की गई तथा कलाकारों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए जिससे जायरीन दाद देने पर मजबूर हो गए। कस्बे के प्रमुख मार्गों से होता हुआ जुलूस दरगाह पहुंचा, जहां सज्जादानशीन एवं मुतव्वली पीर गुलाम नसीर ने बुलंद दरवाजे पर चादर ग्रहण की और बड़े अदब के साथ दरगाह पर चढ़ाई। हालांकि जुलूस में भारी मात्रा में पुलिस लवाजमा मौजूद था , लेकिन लोगों को यही कहते सुना गया क़ि इस सौहार्द्रपूर्ण माहौल में इतना भारी जाब्ता जरूर तनाव दिखाता है  | व्यापारियों व हिन्दू धर्मावलम्बियों ऩे भी जगह जगह जुलूस का इस्तकबाल किया | जुलूस में काबिल ए तारीफ कव्वालियों के साथ साथ श्रीराम और हनुमान जी के भजनों की कव्वाली के रूप में मनमोहक प्रस्तुतियां दी गयी | श्री लक्ष्मीनाथ  मंदिर के पास जब कव्वालों ऩे सूफी अंदाज में ' पाँव में घुँघरू बाँध के नाचे जपे राम की माला ' पेश किया तो ऐसा लगा जैसे सारी सृष्टि मंत्रमुग्ध हो थम गयी है और भजनों का रसास्वादन कर रही है |   

उल्लेखनीय है क़ि कस्बे में हर प्रकार के धार्मिक आयोजनों में हर सम्प्रदाय की बराबर की भागीदारी रहती है | आज जब सारा देश अयोध्या मामले  के फैसले पर किसी अनिष्ट की आशंका से त्रस्त है, ऐसे माहौल में राजस्थान के छोटे से कस्बे के इस प्रकार के आयोजन सारे देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं | फतेहपुर कस्बा भले ही भारत के मानचित्र पर छोटा सा स्थान रखता है लेकिन इस प्रकार के आयोजन बता देते है क़ि क्यों आज भी राजस्थान भारत माता के सर का सरताज है और क्यों सारे देश को अपनी इस अनुपम थाती पर नाज है | विकसित और महानगर कहे जाने वाले शहरों के वर्तमान माहौल को देख कर ऐसा लगता है क़ि अगर यही विकास है  तो हम पिछड़े ही भले | महानगरीय संस्कृति में आज जहां आपसी प्रेम और सौहार्द्र  लुप्त हो गए हैं वहीं ग्रामीण परिवेश में आज भी सभी धार्मिक आयोजन एक पारिवारिक उत्सव की भांति मनाये जाते हैं | सारे देश में अयोध्या में मंदिर बनने की प्रार्थना में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ किये जाते हैं,  मस्जिद बनने  की आमीन में सजदे किये जाते हैं  लेकिन यहाँ   मंदिरों की आरती में बजती सैकड़ों घंटियाँ और अल्लाह  की इबादत में  उठे हजारों हाथ यही दुआ मांगते हैं क़ि हमारा भाई चारा और प्रेम यूं ही बना रहे,  इसे किसी की नजर ना लगे  | आपणों फतेहपुर परिवार भी परवर दिगार से यही दुआ माँगता है क़ि यहाँ का अमन  चैन बरकरार रहे और हम गुजरे कल की तरह आने वाले कल में भी कह सकें 
      मिस्त्र  रोमाँ यूनान मिट गए जहां से 
कुछ बात है क़ि हस्ती मिटती नहीं हमारी 

1 comment:

  1. हमारा भाई चारा और प्रेम यूं ही बना रहे

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