Saturday, November 22, 2014

डाक्टर के इन्तजार में बस की चपेट में आये मासूम ने दम तोड़ा

कस्बेमें मंगलवार शाम रोडवेज बस की चपेट में आए तीन साल के बच्चे ने धानुका राजकीय अस्पताल में डॉक्टर के इंतजार में दम तोड़ दिया। परिजन और अन्य लोग बच्चे को तड़पता देखते रहे, जब तक डॉक्टर अस्पताल पहुंचे बच्चे की जान जा चुकी थी।
मां अपने इकलौते बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और अस्पताल में ही बेहोश हो गई। डॉक्टर ने उसका उपचार किया। घटना के बाद लोगों ने डॉक्टरों के जल्दी नहीं आने पर गुस्सा जताया। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार एमसी लूणियां ने अस्पताल पहुंच कर लोगों को शांत किया। पुलिस के मुताबिक रोडवेज बस स्टैंड पर छतरिया के चबूतरे पर बच्चे के परिजन बस का इंतजार कर रहे थे। साथ में अन्य महिला, पुरुष बच्चे भी थे। मां की गोद से उतर कर तीन वर्षीय बुलकेश अचानक सड़क पर भाग गया। मां तेजी से बच्चे को पकड़ने के लिए लपकी, लेकिन तब तक वह सामने से रही रोडवेज बस की चपेट में गया। बस का अगला टायर बच्चे के नीचे के हिस्से से गुजर गया।
आसपास मौजूद लोग उसे तुरंत ट्रोमा सेंटर लेकर गए, लेकिन वहां ड्यूटी पर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। ऑन कॉल आधा घंटे बाद डॉक्टर आया, तब तक बच्चा ट्रोमा सेंटर में तड़पता रहा और उसकी मौत हो गई। बुलकेश चूरू जिले के दूधवा खारा थाना क्षेत्र के लादड़िया गांव के मूलचंद नायक का पुत्र था। समय पर चिकित्सा नहीं मिलने पर लोग आक्रोशित हो गए। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार एमसी लूणियां, एसआई किशनलाल आदि ने लोगों को शांत किया।
धानुकाअस्पताल स्थित ट्रोमा सेंटर में डॉक्टर की ड्यूटी ऑनकॉल होती है। डॉक्टर अपने निवास पर रहते हैं और दुर्घटना की सूचना मिलने पर आते हैं। अस्पताल के बाहर रहने वाले डॉक्टर को सामान्यत आने में आधा घंटा लग जाता है। गंभीर घायल के लिए यह समय बेहद नाजुक होता है। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ। ऑन कॉल डॉक्टर के आने तक बालक ने दम तोड़ दिया। ड्यूटी डॉक्टर सब्बल ने बताया कि ऑनकॉल डॉक्टर की ड्यूटी सुबह आठ से शाम आठ बजे तक रहती है। लगातार 12 घंटे डॉक्टर का अस्पताल में रहना संभव नहीं है।


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