Tuesday, May 10, 2016

प्रशासनिक लापरवाही ने ली मजदूरों की जान

सरकारीलापरवाही ने फिर दो मजदूरों की जान ले ली और एक मजदूर जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। रामदेव मंदिर के पास सोमवार शाम करीब पांच बजे सीवरेज लाइन में चैंबर बनाते वक्त मिट्‌टी धंस गई। इसमें तीन मजदूर दब गए। दो मजदूरों की मौत हो गई। उनके शव बाहर निकाल लिए गए। जबकि एक मजदूर को देर रात तक नहीं निकाला जा सका। मृतक यूपी के जयपालपुरा के रहने वाले थे। 
फतेहपुर सीओ विनोद कालेर ने बताया कि रामदेवजी मंदिर के पास सीवरेज का काम चल रहा था। मजदूर चैंबर निर्माण के लिए अंडरग्राउंड खुदाई में लगे हुए थे। शाम पांच बजे अचानक पास के घरों में बने दो सेफ्टी टैंक सीवरेज लाइन में धंस गए। इससे तीन मजदूर दब गए। अन्य मजदूरों और आसपास के लोगों ने आला अफसरों को जानकारी दी। सूचना पाकर एसडीएम पुष्करदत्त शर्मा, विधायक नंदकिशोर महरिया, सीओ विनोद कालेर और तहसीलदार कपिल उपाध्याय ने पालिका कर्मचारियों के सहयोग से बचाव कार्य शुरू कराया। पुलिस ने बताया कि एक शव शाम करीब छह बजे और दूसरा रात 10.15 बजे निकाला जा सका। इनकी पहचान राजपाल पुत्र कालेसिंह और लालसिंह पुत्र मंगलसिंह निवासी जयपालपुरा उप्र के तौर पर हुई है। 
मौकेपर काम कर रहे मजदूर सर्वेश ने बताया कि वह जनरेटर चला रहा था और चार मजदूर नीचे खुदाई का कार्य कर रहे थे। अचानक मिट्टी तेजी से धंस गई। कोई संभल पाता इससे पहले ही सब मजदूर नीचे दब गए। सर्वेश के अनुसार उस समय ठेकेदार जयप्रकाश, राजपाल के अलावा दो मजदूर और काम कर रहे थे। 
फतेहपुरमें सीवरेज का काम हैदराबाद की ख्रुशी इंफ्रास्ट्रक्चर कर रही है। यह काम दो चरणों में होना है। सीवरेज कार्य पर करीब 160 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। पहले चरण का काम साल 2013 में शुरू हुआ था और साल 2014 में इसे पूरा करना था। अभी तक 80 फीसदी कार्य ही पूरा हो पाया है। 
एक मजदूर के शव को बाहर निकालने के बाद दूसरे मजदूरों को बाहर निकालते वक्त एक और हादसा होते-होते बच गया। राहत कार्य के दौरान मजदूरों पर मिट्‌टी आकर धंस गई। चार फीट मलबा बचावकर्मियों पर गिर गया। राहत कार्य में जुटे मजदूर भी कमर तक मिट्‌टी में फंस गए। उन्हें भी मुश्किल से बाहर निकाला गया। करीब चार घंटे बाद प्रशासन को सेफ्टी नियम याद आए। सवाल यह है कि इनकी पालना पहले क्यों नहीं की गई। बचाव कार्य में भी लापरवाही सामने रही है। बताया जा रहा है कि प्रशासन को बड़ी क्रेन भी चार घंटे बाद ही मिल सकी। रोलसाहबसर से बड़ी क्रेन रात करीब 8.30 बजे पहुंची। पहले फावड़े तगारी आदि से ही राहत कार्य शुरू किया था। देर रात तक तीसरे मजदूर को निकालने के प्रयास जारी थे। 

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